Thursday, 15 March 2012

बेटी चलेली ससुराल




बेटी चलेली ससुराल ,  सूना भईले  बाबा के अंगनवा ! 
रोवेला घरवा दुवार , दुलारी बेटी हो गईली सपनवा  !
जहिया से शादी के दिनवा धराईल , तहिया से माई के दिलवा  डेराईल !
रात दिन रोवे बेटी भरी अन्कवारी , सखिया सहेली सब भईली दुखारी !
रोवेला सब टोलवा महाल ,  कयीसन बा ई विधि के विधानावा !
बेटी चलेली ससुराल ,   सूना भईले  बाबा के अंगनवा ! 
बाबा रोवे दुवारा घर में महतारी ,  आये बाराती दहेज मांगे घर बारी !
सखियाँ सहेली मिली साज संवारे , डोली लेकर कहांर खड़े हैं दुवारे !
जल्दी करो बोलेले कहांर , दूर जाना है नगरावा !
बेटी चलेली ससुराल ,  सूना भईले   बाबा के अंगनवा ! 
कलेजा पर शील रखी समझावेली ,  सीना से  लगा के डोली में बईठावेली !
सदा रखिह खुश दुलहा से गोहरावेली , चरण पकड़ी विनती दुहारावेली !
कलेजा के टुकड़ा  बबुनी हमार , बबुवा रखिह दिल के समनवा !
बेटी चलेली ससुराल ,  सूना भईले  बाबा के अंगनवा ! 
खुश हो के वापस चले  सब बाराती , वियोग में दुखी हो बैठे सब घराती !
बेटी के गुण बखान कर सब रोवे , चारों तरफ विदाई की चर्चा होवे !
वर्मा विधना के अईसन  होनहार , सब पोंछें अंखिया से लोरवा !
बेटी चलेली ससुराल ,  सूना भईले  बाबा के अंगनवा ! 

-श्याम नारायण वर्मा

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