जब दिन रात खेलब ना करब पढ़ाई,
बताव बबुवा कईसे परीक्षा दीयाई !
दोस्तों के संगें घुमिके समय गुजारेल् !
ऊंच नीच कुच्चू ना मन में विचारेल !
अबो से सुधरब की खाली करब घुमाई,
बताव बबुवा कईसे परीक्षा दीयाई !
मन के तहरा सपना साकार कईसे होई ,
जब तू बीतयब दिन रात सोई सोई !
माई बाप के धोखा दे के करब बेहयाई ,
बताव बबुवा कईसे परीक्षा दीयाई !
आज कल बावे कमपतीशन के ज़माना ,
लिखब ना परब त तोहरा परी लजाना ,
बात अनसुनी कके करतार मुरखातई ,
बताव बबुवा कईसे परीक्षा दीयाई!
केतनों समझाव मानत नईख केहुके ,
ऐसे त बीतयब तू ज़िंदगी कुहुकिके ,
वर्मा तबे तोहारा हमार बात याद आई !
बताव बबुवा कईसे परीक्षा दीयाई !
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