भउजी हो..
का ह बबुआ ?
तहार नाम का ह ?
ना बताइब..
तहार उमर कतना बा ?
ना बताइब..
तहार धरम का ह ?
ना बताइब..
बिआहे अइला का बाद कतना के गहना बनववलू ?
ना बताइब..
कवना बेमारी के ईलाज करावे खातिर नइहर गइल रहलू ?
कई हालि कह दिहनी कुछ ना बताईब त कुछ ना बताईब.. आजु काहे एह पूछताछ करे में लागल बानी ?
बस अइसहीं देखे के चहनी कि ए सब सवाल के तू का जवाब देत बाड़ू की ना बाकिर तू त कुछ बतावते नइखू ?
बबुआ एहसे कि एहसे हमार प्राइवेसी उघार हो जाई...
अब छोड़ अब एह फगुआ का मौसम में प्राइवेसी उघारे के बात मत कह.. गुझिया बनवले बाड़ू कि ना ? आ कि इहो ना बतइबू ?
ई काहे ना बताएब अपना लहूरा देवर के. आ बतइबे ना करब खियइबो करब. चलीं....
चल...
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