Wednesday, 7 March 2012

भउजी हो.....


भउजी हो..

का ह बबुआ ?

तहार नाम का ह ?

ना बताइब..

तहार उमर कतना बा ?

ना बताइब..

तहार धरम का ह ?

ना बताइब..

बिआहे अइला का बाद कतना के गहना बनववलू ?

ना बताइब..

कवना बेमारी के ईलाज करावे खातिर नइहर गइल रहलू ?

कई हालि कह दिहनी कुछ ना बताईब त कुछ ना बताईब.. आजु काहे एह पूछताछ करे में लागल बानी ?

बस अइसहीं देखे के चहनी कि ए सब सवाल के तू का जवाब देत बाड़ू की ना बाकिर तू त कुछ बतावते नइखू ?

बबुआ एहसे कि एहसे हमार प्राइवेसी उघार हो जाई...

अब छोड़ अब एह फगुआ का मौसम में प्राइवेसी उघारे के बात मत कह.. गुझिया बनवले बाड़ू कि ना ? आ कि इहो ना बतइबू ?

ई काहे ना बताएब अपना लहूरा देवर के. आ बतइबे ना करब खियइबो करब. चलीं....

चल...

इस लेख को भेजने वाले है बाबू चौबे (HATA)... 

धन्यवाद बाबू गिफ्ट मिलने पे सूचित करे... 



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