Monday, 16 April 2012

भोजपुरिया शहंशाह रवि किशन के दस साल - फिल्मी सफरनामा








साल १९६२ में पटना में जब पहिलका भोजपुरी फिलिम "गंगा मईया तोहके पियरी चढ़इबो" के मुहूर्त भइल रहे तब केहू ना सोचले रहुवे कि एक दिन उ छोटा पौधा बड़हन वट वृक्ष बन जाई जेकरा छाँव में लाखों लोग आपन परिवार चलाई. साल १९६२ से २००१ ले भोजपुरी फिल्मन के बने के दौरा जारी रहल। ओ दौर में बहुते निमन-निमन पारिवारिक फिल्म  बनत गइल बाकिर दू हाली अइसन भइल जब फिल्मिन के बने में खालीपन आ गइल रहे। ओ समय बीच बीच में जरूर कुछ इक्का दुक्का फिल्म आपन मौजूदगी दर्ज करावत रहे। 


अप्रैल २००२ महीना में पहल भोजपुरी फिल्म बनावे वाला "विश्वनाथ शाहाबादी" के भगीना "मोहनजी प्रसाद" हिन्दी फिल्मिन में निमन ब्रेक खोजे के जुगाड़ में एक जौनपुरिया छोरा रवि किशन के अपना फिलिम "सैयां हमार" खातिर साइन कइले और इहे फिल्म से भोजपुरी सिनेमा के तिसरा दौर के शुरुआत भइल और स्वर्ण युग बन गइल। भोजपुरी सिनेमा खातिर. कुछे के लाख में बनल ई फिल्म बहुते बढ़िया बिजनेस कइलख और एहीजा उदय भइल एक नया सितारा "रवि किशन" के आउरी शुरू भइल एगो नया दौर जवन अभी तक जारी बा। "मोहन जी प्रसाद" और "रवि किशन" के जोड़ी लगातार चार गो हिट फिलिम देके भोजपुरी सिनेमा के दिशा बदल दिहलख। ओकरा बाद जइसे कि बाढ़ ही आ गइल। अनेको निर्माता निर्देशक भोजपुरी फिल्म जगत के ओर रुख कर लिहलन। आज अगर हर साल पचासो से अधिक भोजपुरी फिल्म बनत बा त एकर श्रेय जौनपुरिया छोरा रविओ किशन के जात बा।


१७ जुलाई १९७१ के जौनपुर के केराकत तहसील के एगो छोटहन गाँव विसुई के पंडित श्याम नारायण शुक्ला आ ज़डावती देवी का घरे गूजल किलकारी रहे रविन्द्र नाथ शुक्ला के जौन आज के रवि किशन बाड़े। बचपने से ही कलाकारी प्रवृति के रवि किशन के मन पढाई-लिखाई में कम नाचे और अभिनय करे में अधिक लागत रहे। मासूम सूरत वाला रवि तब हर साल अपना गाँव में होखे वाला रामलीला में शामिल होखे लगले और उहो सीता मईया के रोल में.... मतारी के डांट आ बाबूजी के पिटाई भी रवि किशन के ई अभिनय मोह ना छोड़ा पवलख और आखिर में साल १९९० में उ मुंबई आ गइलन। ओ समय मुंबई के बांद्रा के बाज़ार रोड में दूध के एक छोट दुकान होखत रहे। रवि किशन दुकान सम्हारस और खाली समय में फिल्म स्टूडियो के चक्कर लगावल जारी रखलन।


संघर्ष यात्रा


आज का दौर में कवनो गँवई कलाकार के ओतना संघर्ष ना करे पड़ेला काहे कि अब छोटको परदा हाजिर बा मौका देवे खातिर । बाकिर तब एक मात्र माध्यम सिनेमाँ ही रहे, जुनूनी रवि किशन हिम्मत ना हारले। एह स्टूडियो से ओह स्टूडियो के चक्कर लगावत रहस। रवि किशन जवने निर्माता निर्देशक से मिलस ऊ इहे कहे कि तू मिथुन दा के डुप्लीकेट लागत बाड़ऽ। आखिरकार मेहनत रंग लगवलसि आ उधार के जिनिगी में उनुका पहिला मौका मिलल जीतेंद्र का साथ। एह फिल्म में काजोल मुख्य अभिनेत्री रहली। रवि किशन के पहला शोट जीतेंद्रे का साथ रहे।. डरल-सहमल बाकिर कुछ कर देखावे के तमन्ना रखले रवि आपन पहला शॉट दिहलन। जीतेन्द्र उनकर तारीफ कइलें त रविकिशन के कुछ हौसला बढ़ल, फेर रवि किशन के टुकुर टाकुर काम मिले लागल बाकिर अपना भूमिका से ऊ खुश ना रहले। दस साल ले रवि किशन बढ़िया किरदार खातिर आपन संघर्ष जारी रखलन साल २००० में उनुका छोट परदा पर "जिंदगी मिलके बीतायेंगे", "हवाएं" और "हेल्लो इन्स्पेक्टर" धारावाहिक में काम करे के मौका मिलल ए धारावाहिक से उनकर आमदनी त बढ़ गइल बाकिर बड़का परदा पर आये के ललक कायम रहल।


भोजपुरी के सफ़र


एक शूटिंग में रवि किशन के भेंट चरित्र अभिनेता बृजेश त्रिपाठी से भइल। बृजेश त्रिपाठी अनेके हिंदी और भोजपुरी फिल्मिन में काम कर चुकल रहले और भोजपुरी परिवेश के अनेके हिंदी फिल्म बना चुकल निर्देशक मोहन जी प्रसाद के बहुते करीबी रहले। मोहन जी प्रसाद तब एक भोजपुरी फिलिम के योजना बनावत रहले और हीरो के तलाश में रहलें. एह तलाश के जिम्मेदारी ऊ बृजेश त्रिपाठी के लगवले रहले। बृजेश जब रवि किशन से ओह फिलिम में काम करे के प्रस्ताव रखले तब रविकिशन तुरत हामी भर देहले और ओही रात ११ बजे दुनु लोग मोहन जी प्रसाद के बांद्रा आवास पहुचले. मोहन जी रवि किशन के देखते सगुन के एगारह हजार रुपिया दिहलें. फिलिम के शूटिंग बिहार में भइल और फिलिम हिट ना सुपर-हिट भइल। ए फिल्म में मिथुन दा मेहमान भूमिका में रहले। एह फिल्म क बाद मोहन जी प्रसाद लगातार चार गो फिलिम रवि किशन के साथे बनवले और  चारो हिट रहल, उनुकर चउथा फिल्म रहे "पंडित जी बताईं ना बियाह कब होई" जेमे में रवि किशन के नायिका नगमा रहली। ई फिल्म सफलता के इतिहास रच दिहलख फेर त अनेके निर्माता-निर्देशक भोजपुरी सिनेमा का ओर देखे लगलन। मुंबई में मजदूरन के भाषा कहाए वाली भोजपुरी के सम्मान दिलावे खातिर रवि किशन बहुत मेहनत कइलन। सदी के महानायक अमिताभ बच्चन होखस और चाहे शाहरुख खान, रवि किशन सगरी बड़का सितारन के कवनो ना कवनो माध्यम से भोजपुरी से जोड़लें। अमिताभ बच्चन त भोजपुरी फिल्म में पहिले भी काम कइले रहलन जबकि शाहरुख़ खान दू बेर रवि किशन के फिल्म के कार्यक्रम में आके भोजपुरी के मीडिया में जगहा दिअवले। ओह घरी हिंदी के पत्र पत्रिका भी भोजपुरी से मूह फेरले रहे। रवि किशन अखबार के दफ्तर में जा-जा के भोजपुरी के जम के वकालत कइले, टीवी चैनलों पर भोजपुरी के प्रमुखता मिले लागल और आज पब्लिसिटी का मामला में भोजपुरी कवनो भाषाई फिलिमन से कम नइखे। भोजपुरी सिनेमा के इतिहास दू बेर अइसन दौर आइल रहे जब फिल्म बनल बंद हो गइल रहे। रवि किशन के एकर एहसास रहे एह से ऊ कवनो मौका ना चूकलें। रहल सहल कमी भोजपुरी के गायकन के अभिनय में उतरला से पूरा हो गइल. रवि किशन के अनेक फिल्मन  के शूटिंग विदेशन में भइल। उदित नारायण के रवि किशन अभिनीत फिल्म "कब होई गवना हमार"  राष्ट्रीय पुरस्कारो से सम्मानित कइल गइल। भोजपुरी के लोकप्रियता देखत भोजपुरी फिल्म अवार्डो के शुरुआत हो गइल।


बड़ी कंपनियों को ले आवे के श्रेय


रवि किशन अनेक बड़की कंपनियों के भोजपुरी में ले अइलें। इंडो अमेरिकन कंपनी, पन फिल्म्स होखो, भारत के महिंद्रा एंड महिंदा, दक्खिन भारत के अल्टुरा फिल्म्स. सबमें रविकिशन मौजूद रहले। पन फिल्म्स के पहिला फिल्म "जरा देब दुनिया तोहरा प्यार में" के प्रतिष्ठित कांस फिल्म समारोह में इन्डियन फिल्म पवेलियन में प्रदर्शित करे के मौका भी मिलल। महिंद्रा एंड महिंदा रवि किशन का साथे एगो बड़हन बजट के फिल्म "हम बाहुबली" बनवलख। दिलीप कुमार जब फिल्म बनावल शुरू कइलन त रवि किशन के साथ फिल्म बनवले। फिलहाल तेलगु के सबसे बड़की कंपनी ए.के. इंटरटेनमेंट और १४ रील फिल्म्स के सहयोगी कंपनी अल्टुरा फिल्म्स रवि किशन का साथे "रणवीर" बनावत ब। रवि किशन अनेके कोर्पोरेट कंपनियन के अपना ओर खींचलन और ए अवधारणा के जन्म दिहलन कि ऊ हिंदी के कवनो बड़का स्टार से कम नइखन तबहिये त डाबर, थम्स अप, निहार तेल समेत २२ गो बड़की कंपनी उनुका के बिहार अउर उत्तर प्रदेश में आपन ब्रांड अम्बेसडर बनवले बाटे।


अवार्ड और सम्मान


सिनेमा भोजपुरी में एवार्ड के बात आवे त रवि किशन का सामने दूर दूर ले केहू ना टिके. भोजपुरी सिनेमा के अभी तक कुल नौ अवार्ड समारोह भइल बा जवना में छह बेर नंबर वन के खिताब रवि किशन का नामे रहल। एकरा अलावे ऊ बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, छतीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमण सिंह, दिल्ली के मुख्यमंत्री शीला दीक्षित समेत अनेके सम्मानीत लोगन से पुरस्कृत भइल बाड़े।


हिंदी में भोजपुरिया चेहरा


हाल ही में हिंदी फिल्म "एजेंट विनोद" के समीक्षा में एगो बड़का समीक्षक लिखलन कि रवि किशन भलही हिंदी सिनेमा में भोजपुरिया चेहरा कहल जालें बाकिर इहो साँच बा कि आजु ऊ हिंदी के बड़की फिलिमन के जरूरी हिस्सा बन गइल बाड़न। हिंदी के दिग्गज अपना फिलिमन में रवि किशन खातिर रोल लिखवावे लागल बाड़े। रवि किशन मणिरत्नम के "रावन"  सोहम शाह के "लक" में रवि किशन अपना अभिनय से सभकर दिल जीतले बाड़े। आज उनका लगे नाहियो त एक दर्जन से अधिक हिंदी फिलिम बाटे जेमें विक्रम भट्ट क "डेंजरस इश्क", विनोद बच्चन के "जिला गाज़ियाबाद", "इशक", "जीना है तो ठोक डाल", और अष्टविनायक के दू गो अनाम फिलिम शामिल बाटे। मौजूदो दौर में रवि किशन बढ़िया फिल्मकारन के पहिला पसंद बाड़े। दयाल निहलानी जइसन निर्देशक के पहिला भोजपुरी फिल्म होखो चाहे दक्खिन के बड़का निर्माता के पहिला भोजपुरी फिल्म "रणवीर" सबमें रविकिशन शामिल बाड़े। रवि किशन का लगे भोजपुरी फिलिमन के लंबा कतार मौजूद बा. बिना कवनो ब्रेक लगातार शूटिंग करत रहे वाला रवि किशन सिर्फ भोजपुरीए आ हिंदी ना, बल्कि मराठी, बंगला और दक्खिन भारतीय फिल्मो में काम करत बाड़े। कवनो भोजपुरी अभिनेता खातिर ई बड़का उपलब्धि मानल जाई कि एक हिंदी फिल्म में उनुकर छोटहन रोलो देखि के आमिर खान आ शाहरुख खान जइसन अभिनेता उनुका के बधाई दिहलें। दिलीप कुमार से लिहले आज के सगरी बड़का सितारन का साथे काम कर चुकल रविकिशन जल्दिये आमिर खान के एगो होम प्रोडक्शन फिलिमो में नजर आवे वाला बाड़न।


कुल मिला के इहे कहल जा सकेला कि रवि किशन अपना अभिनय के लोहा त मनववलही बाड़े बल्कि उनका कोशिश से आज भोजपुरीओ सिनेमा के दायरा बिहार, यूपी के लाँघत विदेसन तक पसर गइल बा।


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